
मुझमें दिल्ली बसता है
By Dr. Sanish Chandra
*दुर्बलताओं से जीत की शक्ति देता है - विवेकानन्द साहित्य* कुछ ऐसा लिखा होता है जिसके शब्दों में ऊर्जा रहती है । आप पढ़ते हैं और ऊष्मा महसूस करते हैं । ऐसा विवेकानंद साहित्य में है । आजकल मोटिवेशनल बुक्स की बाढ़ आ गई है । पहले स्वेट मॉडर्न जैसे लोग थे जो ओवरॉल ग्रोथ के लिए लिखते थे अब यह क्षेत्र भी सुपर स्पेशीऐलिटी का हो गया है - फ़ोकस , ‘नाउ’, ‘हैबिट’ पर लिखी गई बेहद लोकप्रिय किताबें इसी श्रेणी की हैं । जो भारतीय, जीवन में निरुद्देश्य, अनिर्णीत, महत्वहीन या कमजोर महसूस करते हैं उन्हें विवेकानंद साहित्य ज़रूर पढ़ना चाहिए । इसमें हमारी संस्कृति, परि

मुझमें दिल्ली बसता है
By Dr. Sanish Chandra
*दुर्बलताओं से जीत की शक्ति देता है - विवेकानन्द साहित्य* कुछ ऐसा लिखा होता है जिसके शब्दों में ऊर्जा रहती है । आप पढ़ते हैं और ऊष्मा महसूस करते हैं । ऐसा विवेकानंद साहित्य में है । आजकल मोटिवेशनल बुक्स की बाढ़ आ गई है । पहले स्वेट मॉडर्न जैसे लोग थे जो ओवरॉल ग्रोथ के लिए लिखते थे अब यह क्षेत्र भी सुपर स्पेशीऐलिटी का हो गया है - फ़ोकस , ‘नाउ’, ‘हैबिट’ पर लिखी गई बेहद लोकप्रिय किताबें इसी श्रेणी की हैं । जो भारतीय, जीवन में निरुद्देश्य, अनिर्णीत, महत्वहीन या कमजोर महसूस करते हैं उन्हें विवेकानंद साहित्य ज़रूर पढ़ना चाहिए । इसमें हमारी संस्कृति, परि